5वकीलों का शिष्टमंडल कल जोधपुर में करेंगे प्रदर्शन, धरना 39 वें दिन भी रहा जारी
मेवाड़ प्लस जयपुर / भीलवाड़ा (महेन्द्र नागौरी)राजस्थान हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मनोनयन में
अनियमितता को लेकर आज 39 वें दिन भी धरना जारी रहा।
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैश 6 मार्च को सेवानिवृत्त होंगे उनका विदाई समारोह 5 मार्च को जोधपुर में किया जाएगा क्योंकि 5 मार्च उनका अंतिम कार्य दिवस है इसलिए जयपुर से पांच अधिवक्ताओं का एक शिष्टमंडल जोधपुर जाएगा और विदाई समारोह का बहिष्कार करेगा और वहां 1.00 से 2.00 बजे तक प्रदर्शन करेगा क्योंकि अपने 6 माह के कार्यकाल में उन्होंने वरिष्ठ वकीलों का अपमान किया है और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित 8-10 वरिष्ठ अधिवक्ताओं को मुख्य न्यायाधीश ने बुलाया था और उनसे बातचीत के पश्चात यह कहा था कि प्रकरण को पूर्ण पीठ के समक्ष रखेंगे लेकिन अभी तक उन्होंने पूर्ण पीठ के समक्ष नहीं रखा है और वकीलों को गुमराह किया है।
उनकी इतनी हठधर्मिता है की 39 दिन गुजर जाने के बाद भी मुख्य न्यायाधीश महोदय ने आंदोलनकारी वरिष्ठ अधिवक्ताओं इसे कोई वार्ता नहीं की है इस प्रकार शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं का अपमान कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश का विरोध बढ़ता जा रहा है विरोध बढ़ता जा रहा है और वकीलों का जोश बढ़ता जा रहा है अब महिलाएं भी आंदोलन में आने लगी है।शांतिपूर्ण तरीके से ऐतिहासिक धरना चल रहा है न्यायालय में काम काज भी किया जा रहा है और विरोध भी लगातार दिया जा रहा है ।
शुक्रवार को धरने पर विमल चौधरी, पूनमचंद भंडारी, राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व सदस्य और जयपुर बार के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पूनिया, राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन इंदर राज सैनी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश भगवती प्रसाद के पुत्र कुमार कार्तिकेय, राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष पूर्व सरकारी अधिवक्ता और पार्षद जितेंद्र श्रीमाली, एस आर जाटव, कामरेड सुरेश कश्यप, डाक्टर पी सी जैन, कृष्ण सिंह जादौन, अजित सिंह लूनिया, सतीश बलवदा,विवेक शर्मा, रामअवतार शर्मा, प्रताप सिंह झांझरिया, हंसराज कुलदीप, एस एल सोनगरा, आई जे खतूरिया, आर एल अग्रवाल, अशोक मेहता, रणवीर सिंह, देवेश डागुर सहित सैकड़ों अधिवक्ता धरने पर बैठे।
अधिवक्तागण का हस्ताक्षर अभियान जारी है वकीलों ने कहा वरिष्ठ अधिवक्ताओं का अपमान नहीं सहेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने यह भी मांग की हाईकोर्ट कॉलेजियम वकीलों में से जजों की नियुक्ति करते है उसमें भी अधिवक्ताओं से प्रार्थना पत्र आमंत्रित करने चाहिए और जो सीनियर अधिवक्ता मनोनयन करने के लिए गाइडलाइंस है वही गाइडलाइंस जजों की नियुक्ति के लिए होनी चाहिए और उनके प्रार्थना पत्रों को दस्तावेज सहित वेबसाइट पर डालना चाहिए ताकि समस्त अधिवक्ता यह जान सकें कि जो जज बनने जा रहे हैं उनमें कितनी काबिलियत है क्योंकि उनकी नियुक्ति से लाखों लोगों के भविष्य पर असर पड़ता है और जजों की नियुक्ति में महिलाओं की उपस्थिति नगण्य है 50 जजों में से कम से कम 10 महिलाओं का चयन होना चाहिए और इसके अलावा जजों की नियुक्ति में कोलिजियम में लोकल जजेज का बहुमत होना चाहिए क्योंकि बाहर के जजों को यहां के अधिवक्ताओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।
वर्तमान समय में मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम जज एम एम श्रीवास्तव जी हैं इसलिए कॉलेजियम में पांच जज होने चाहिए और बाहर से जब आते हैं तो कॉलेजियम जल्दी नहीं होना चाहिए उन्हें कम से कम छह महीने तक विभिन्न रोस्टर में बैठकर वकीलों की बहस सुनकर चयन करना चाहिए।
इसके अलावा वकीलों में इस बात का भी रोष है कि 26 वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया है उसमें सिर्फ एक महिला अधिवक्ता का मनोनयन हुआ है और एक महिला अधिवक्ता जिसका नाम कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए भेजा था उनको भी वरिष्ठ वकीलों के मनोनयन में चयनित नहीं किया गया है तथा एससी एसटी और ओबीसी कि अधिवक्ताओं के नाम भी नजरअंदाज किए गए हैं ।