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बसंत पंचमी पर हुई भव्य काव्यसंध्या*

*बसंत पंचमी पर हुई भव्य काव्यसंध्या*
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भीलवाड़ा,6 फरवरी। शहर की अग्रणी साहित्यिक संस्था नवमानव सृजनशील चेतना समिति द्वारा मां सरस्वती जयंती व बसंत पंचमी पर भदादा बाग के पीछे स्थित ओशो सुरधाम ध्यान केंद्र में 2022 की तीसरी काव्यसंध्या का आयोजन किया गया। अध्यक्षता व संचालन डॉ एसके लोहानी खालिस ने किए,मुख्य अतिथि गुलाब मीरचंदानी,विशिष्ट अतिथि आरके जैन व डॉ एमपी जोशी थे। डॉ अवधेश जौहरी ने मधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
महासचिव कविता लोहानी ने बताया कि काव्यसंध्या का शुभारंभ डॉ एसके लोहानी खालिस ने गीत “लो ये रंग बसंती हर तरफ ऐसा छा गया,यों वक्त मस्ती का बरबस कैसा आ गया” एवं कविता “बासंती छटा देख प्रकृति की हृदय महक जाता है,मदिर-मदिर चलती बयार तन-मन बहक जाता है” सुनाकर बसंत ऋतु का सार्थक स्वागत किया। फिर गुलाब मीरचंदानी ने “पहले बसंत आता था,शोर मच जाता था,फूलों का कलियों का उमंगों का”, आरके जैन ने “मौसम भी मजा ले रहा है इन दिनों,शायद किए की सजा दे रहा है इन दिनों”, ताराचंद खेतावत ने “जिनके पास पिता है वो गरीब नहीं होता है”, नरेंद्र वर्मा नरेन ने “जिसको तेरा आशीर्वाद मिल जाता है मां,कीचड़ में भी कमल खिल जाता है मां”, डॉ महावीरप्रसाद जोशी ने “शब बीती पतझड़ मनुहार की,घड़ियां खत्म हुईं इंतजार की”, रतन चटुल ने दिवंगत कवि नरेंद्र दाधीच की याद में “हमारे आंसुओं की ये सौगात होगी,वहां नए लोग होंगे नई बात होगी,हम हर हाल में मुस्कुराते रहेंगे,तुम्हारी मुहब्बत जो साथ होगी”, सुरेश रामनानी ने “ये तो दिल की ही बातें हैं,सिर्फ दिल ही समझता है”, डॉ अवधेश जौहरी ने “तुम्हारी प्रेम वीणा का अछूता तार मैं ही हूं,मुझे क्यूं भूलते हो तुम विकल झंकार मैं ही हूं” और दुर्गेश पानेरी सपूत ने “मुहब्बत से हम अपनी बात का आगाज करते हैं” जैसी एक से बढ़कर एक लाजवाब रचनाएं प्रस्तुत कर मां वाग्देवी की संस्तुति की।
पिछले वर्ष स्थापित परंपरा अनुसार इस काव्यसंध्या का श्रेष्ठ रचनाकार रतन चटुल को चुना गया और उन्हें उपरणा,मोतीमाला पहनाकर व प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

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