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वकील जल्द मिलेंगे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से, धरना 22 वें दिन भी रहा जारी

जयपुर / भीलवाड़ा (महेन्द्र नागौरी) राजस्थान हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मनोनयन में अनियमितता को लेकर आज अधिवक्ताओं ने निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से वकीलों का शिष्टमंडल जल्द ही मिलेगा,ओर उन्हें वरिष्ठ वकीलों के मनोनयन में हुई अनदेखी के बारे में बताएगा कि किस तरह बाहर से कुछ समय पूर्व आए मुख्य न्यायाधीश व वरिष्ठतम न्यायाधीश एम श्रीवास्तव को अंधेरे में रखकर आनन फानन में 26 अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया और 103 अधिवक्ताओं को नकार दिया गया जबकि पूरे राजस्थान के अधिवक्ता और हाई कोर्ट के जज इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनमें कई अधिवक्ता विशिष्ट योग्यता रखते हैं और निर्णय करने में मेरे को सहयोग किया है । जनहित याचिका लगाई है और कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता तो ऐसे हैं जिन्हें खुद हाईकोर्ट जजों ने कहा था कि वे आवेदन करें इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यह प्रश्न रखा जाएगा कि बाहर से आए हुए जज अभी सभी वकीलों से वाकिफ नहीं हुए हैं इसलिए जल्दबाजी में कालेजियम
कॉलेजियम एवं नहीं किया जाए जब कि सूत्रों के अनुसार आनन-फानन में कॉलेजियम में भी किया जा रहा है ताकि मनमाफिक वकीलों को जज बनाने के लिए नाम सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाएं वकीलों में इस बात को लेकर रोष है जिसके चलते 26 वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया है उसमें सिर्फ एक महिला अधिवक्ता का मनोनयन हुआ है और एक महिला अधिवक्ता जिसका नाम कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए भेजा था उनको भी वरिष्ठ वकीलों के मनोनयन में चयनित नहीं किया गया है तथा एससी एसटी और ओबीसी कि अधिवक्ताओं के नाम भी नजरअंदाज किए गए हैं सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश से मीटिंग करने के लिए पूनम चंद भंडारी और पीके मिश्रा को अधिकृत किया गया है।
आज 22 वें दिन भी जारी धरने में विमल चौधरी, पूनमचंद भंडारी, जयपुर बार के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह पूनिया, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साले और राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीण बलवदा, राजस्थान हाई कोर्ट बार के पूर्व उपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण बोस, जयपुर बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव अनूप पारीक, सोहन लाल शर्मा,कृष्ण सिंह जादौन, डाक्टर पी सी जैन, अजित सिंह लूनिया, हिम्मत सिंह, कामरेड सुरेश कश्यप, हंसराज कुलदीप, आई जे खतूरिया सहित सैकड़ों अधिवक्ता धरने पर बैठे।
इसे लेकर अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर अभियान चलाया।
वरिष्ठ अधिवक्ता भंडारी ने कहा वरिष्ठ अधिवक्ताओं का अपमान नहीं सहेंगे।
उधर वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मांग की है कि हाईकोर्ट कॉलेजियम वकीलों में से जजों की नियुक्ति करते है उसमें भी अधिवक्ताओं से प्रार्थना पत्र आमंत्रित करने चाहिए और जो सीनियर अधिवक्ता मनोनयन करने के लिए गाइडलाइंस है वही गाइडलाइंस जजों की नियुक्ति के लिए होनी चाहिए,और उनके प्रार्थना पत्रों को दस्तावेज सहित वेबसाइट पर डालना चाहिए ताकि समस्त अधिवक्ता यह जान सकें कि जो जज बनने जा रहे हैं उनमें कितनी काबिलियत है क्योंकि उनकी नियुक्ति से लाखों लोगों के भविष्य पर असर पड़ता है और जजों की नियुक्ति में महिलाओं की उपस्थिति नगण्य है 50 जजों में से कम से कम 10 महिलाओं का चयन होना चाहिए और इसके अलावा जजों की नियुक्ति में कोलिजियम में लोकल जजेज का बहुमत होना चाहिए क्योंकि बाहर के जजों को यहां के अधिवक्ताओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम जज एम एम श्रीवास्तव हैं इसलिए कॉलेजियम में पांच जज होने चाहिए और बाहर से जब आते हैं तो कॉलेजियम जल्दी नहीं होना चाहिए उन्हें कम से कम छह महीने तक विभिन्न रोस्टर में बैठकर वकीलों की बहस सुनकर चयन करना चाहिए।

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